भगवान का मंदिर जिसमे भक्त पूजा करने जाते है अपनों के लिए अपने देश के लिए सुख शांति और खुशहाली की प्रार्थना करते है। वापिस आते वक्त अपने साथ प्रसाद लाते है और बांटते है। गिरिजाघर में लोग जाते है अपने प्रभु को याद करते है अपने और अपने लोगों के लिए प्रार्थना करते है। फिर ये कैसा धर्म है जिसमे लोग मस्जिद में जाते है अपने अल्लाह से प्रार्थना करने के नाम से नमाज पढ़ते है लेकिन आते समय हाथ में पत्थर लेकर आते है और शहर कस्बों को लूटना और जलाने का काम करते है। क्या यही प्रसाद बांटा जाता है इनके यहाँ ?
कुछ दिनों से देखने में यही आ रहा है जैसा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, सहारनपुर और कानपूर में देखने को मिला जैसा झारखण्ड के रांची में और पश्चिम बंगाल में देखने को मिला। मुस्लिम युवकों ने जैसा शांतिपूर्ण आंदोलन करते हुए पुलिसवालों को और दुकानदारों को पत्थर वाला प्रसाद बांटा वह दिखाता है की ये किस प्रकार का धार्मिक ज्ञान इन युवकों को इनके मौलाना दे रहे है। कुछ लोग ये कह रहे है कि युवकों का कोई दोष नहीं है ये तो मासूम बेगुनाह है ये तो भटके हुए युवा है जिन्हे मजहबी नेताओं और राजनितिक पार्टियों के नेताओं ने भड़का कर उन्हें उकसा कर ये कार्य करवाया गया। भाई ठीक है लोगों ने इन युवाओं को भड़काया इन्हे उकसाया लेकिन जब वह लोग ये कर रहे थे तो क्या इन युवकों का दिमाग भैंस है जो उस वक्त चारा चरने चला गया था।
ये सही बात है कि कुछ राजनितिक लोग और मजहबी उलेमा मौलाना ये चाहते है कि देश में जिस प्रकार भाजपा की लोकप्रियता बढ़ी है दुनिया में भारत की जो तस्वीर उभर कर आई है जिस प्रकार दुनियाभर के देश भारत का लोहा मान रहे है उससे भारतीय जनता का ध्यान भटका कर भाजपा के खिलाफ एक माहौल बनाया जाये।
दूसरी ओर जिस प्रकार पिछले दिनों में भारतीय हिन्दू समाज के वो सभी ऐतिहासिक सच धार्मिक सच जोकि कहीं न कहीं मुग़लों ओर कांग्रेसियों के द्वारा छिपा दिए गए थे, सामने आने लगे है ओर भारतीय हिन्दू समाज जिस प्रकार अपने अधिकारों के प्रति जाग रहा है, जिस प्रकार जागृति आ रही है वह मुस्लिम समाज ओर उनको लम्बे समय से वोटबैंक मानने वाले कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी व ऐआईएमआईएम जैसे राजनितिक दलों को रास नहीं आ रही है। उन्हें उनकी राजनितिक जमीन खिसकती दिखाई दे रही है। इन सभी दलों व मुल्ला मौलवियों को अपनी रोटियां सेकने का मौका कभी न कभी मिलता रहता है जिस प्रकार एक टीवी चैनल पर डिबेट में भाजपा की नूपुर शर्मा के मुँह से निकले शब्द ही क्यों न हो।
जिस प्रकार नूपुर शर्मा के शब्दों को लेकर पुरे भारत ओर दुनिया के सभी मुस्लिम देशों ने बवाल खड़ा किया हुआ है। उन्हें ये सोचना चाहिए की ये शब्द जो वह दुनिया से छुपाते आ रहे है उनके इस बवाल से ओर ज्यादा पूरी दुनिया को पता चल गए है ओर यही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ये जान गई है की नूपुर शर्मा के कहे शब्दों से कहीं ज्यादा इस्लामी पुस्तकों में इन बातों का जिक्र है। चाहे पुस्तकों में ही सही पर क्या इस बात में कुछ सच्चाई तो नहीं ? क्या ये सब बवाल करने वाले अपने ही लोगो के द्वारा लिखी गई पुस्तकों से उन बातों को हटा सकते है। क्या उन्हें झुटला सकते है ? पर इन्हे कौन समझाए मोर जितना पंख उठाता है नंगा ही दीखता है। तो समझदारी तो इसी बात में है अपने बवाल को ख़त्म करते हुए शांति से रहो जिससे दुनिया को ओर बातें न पता चल सके।
वैसे इन सभी बवालों के पीछे नूपुर शर्मा का बयान तो सिर्फ एक हथियार की तरह काम में लिया गया है मुख्य मुद्दा तो देश में चल रहे हिंदुत्व जागरण का है। जिस प्रकार ज्ञानवापी, काशी विश्वनाथ, मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के मुद्दे अदालतों में जा रहे है ओर उनके पुख्ता प्रमाण दुनिया के सामने आ रहे है, सेकुलर पार्टियों ओर मुस्लिम समाज में डर बढ़ता जा रहा है की कहीं राजनितिक दलों का वोट बैंक न चला जाये। कहीं वह मस्जिदे फिर से मंदिर ना बन जाये तो इनके लुटेरे पूर्वजों ने मंदिरों को लूटकर ओर तबाह करके बनाई थी। पर अब समय जागरण का है जाग्रति का है। अब हिंदुत्व को समाप्त करने का दम्भ भरने वाले पप्पू अपनी हस्ती को बचाने में लगे है। उनकी राजनितिक भूमि उनके पैरों के निचे से खिसकने लगी है।
रही बात दंगों की तो देश अब मौनी बाबा जैसी कठपुतली के हाथ में नहीं, मोदी – योगी के हाथ में है। मोदी के कुशल राज प्रबंधन ओर योगी के बुलडोजर के आगे ये दंगाई दुहाई देते ही नजर आएंगे।
नोट: यह लेख किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि सभी धर्मो के लोगो में एक जागृति लाने व शांति व सद्भाव से रहने के लिए है।
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